Vikrant Rona Full review in hindi

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 Vikrant Rona movie review

कन्नड़ सुपरस्टार किच्चा सुदीप की फिल्म 'विक्रांत रोणा' आज बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है, लंबे समय से इस फिल्म को लेकर चर्चा थी। ये फिल्म 3डी में रिलीज की गई है, क्या ये फिल्म पैसा वसूल है? क्या हमें इसे देखना चाहिए, इन सब सवालों के जवाब आपको इस रिव्यू में मिल जाएंगे। साउथ फिल्में देखने के आप शौकीन हैं तो आपने देखा होगा कि वहां ऐसी सस्पेंस फिल्में बनती हैं जिसका अंत आप सोच भी नहीं सकते हैं, कई बार वो क्लाईमैक्स इतना शानदार होता है कि हम हैरान रह जाते हैं वहीं कई बार ऐसा होता है कि पूरी फिल्म हमें अच्छी लगती है मगर सस्पेंस ऐसा निकलकर आता है कि हम माथा पीट लेते हैं। ये वाली फिल्म कैसी है? क्या इस सस्पेंस थ्रिलर फिल्म का क्लाईमैक्स आपको हैरान करेगा या नहीं, ये हम आपको बताएंगे।


Vikrant Rona ki कहानी

फिल्म 'विक्रांत रोणा' एक रहस्यमय गांव की कहानी है, जहां अक्सर बारिश होती रहती है। फिल्म का कालखंड इतना पुराना है कि उसमें पेट्रोल की कीमत 6 रुपये लीटर और डीजल की कीमत 3 रुपये लीटर बताई गई है। गांव में अक्सर छोटे बच्चे गायब हो जाते हैं और उनकी लाश पेड़ पर लटकी मिलती है। इसका इल्जाम गांववाले ब्रह्माराक्षस पर लगाते हैं। एक दिन गांव के थाने के इंस्पेक्टर की सिरकटी लाश कुएं में लटकी मिलती है, तो वहां सनसनी फैल जाती है और इसका इल्जाम भी ब्रह्माराक्षस पर लगता है।


गांव में पहुंचा नया इंस्पेक्टर विक्रांत रोणा (किच्चा सुदीप) इस मामले की जांच शुरू करता है। गांव की एक पुरानी बल्लाल फैमिली अपनी बेटी पन्ना की शादी अपने पैतृक गांव में करने आई हुई है। गांव में पहले से रहने वाली गंभीर फैमिली का बेटा संजू भी अरसे बाद गांव लौटा है। वह पन्ना से इश्क करने लगता है। शादी की तैयारियों के बीच बच्चों की हत्या का सिलसिला जारी रहता है। तो क्या संजू और पन्ना का इश्क परवान चढ़ पाता है? क्या विक्रांत रोणा बच्चों और इंस्पेक्टर के कातिल की गुत्थी सुलझा पाता है? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।

एक्टिंग

एक्टिंग की बात करें तो किच्चा सुदीप इस फिल्म में कई जगह आपको सलमान खान जैसे लगने लगेंगे उनके बोलने के अंदाज से लेकर उनकी डायलॉग डिलीवरी तक कई जगह आपको सलमान खान की याद आ ही जाएगी. अब एक्टिंग के मामले में तो सुदीप स्टार हैं लेकिन इस फिल्म में वह अकेले ही है जो पूरे स्क्रीन टाइम को संभालते हैं. बाकी सारे किरदार अपनी जगह बस नजर आ रहे हैं.

निर्देशन

फिल्म का निर्देशक अनूप भंडारी ने किया है, फिल्म को डार्क फैंटसी एडवेंचर हॉरर फिल्म बनाने की कोशिश अच्छी थी, इससे पहले ऐसा हमने 'तुम्बाड' में देखा था, लेकिन निर्देशन में कमी नजर आती है। फिल्म के स्क्रीनप्ले पर और बेहतर काम करने की जरूरत थी। 

देखें या नहीं?

अगर आप साउथ फिल्मों के शौकीन हैं, और सस्पेंस थ्रिलर फिल्में आपको पसंद आती हैं तो ये फिल्म आपको अच्छी लगेगी। 


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